उदासी ने कुछ यूँ मुस्कुराकर देखा,
मानो पहली मोहब्बत ने शर्माकर देखा।
किसी ख़ता का बोझ उठाये लगते हैं,
मेरे शाद ने जब मुझे घबराकर देखा।
कैसे ज़िंदा है अभी तक वो साँसों के बिना,
लोगों ने फिर उस उम्मीद को भी दफ़नाकर देखा।
तुम मिले तो लगा कुछ मायनें अभी हैं ज़िन्दगी के,
जब उन उड़ते ख्यालों को अपनाकर देखा।।
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