Wednesday 17 June 2020

तुम्हारी नज़रें

कुछ हर्फ़ टूट गए कहानी से,
जैसे बचपन छोड़ गए जवानी से।

अब जो उनके लबों को छू लूँ तो क़रार मिले,
अब ये प्यास नही बुझनी पानी से।

बस काफ़ी है जो तुम्हारा साथ मिल गया,
बस जो तुम्हारे होंठ लगे अब पेशानी से।

ये जो तुमने मान लिया है मुझे चाँद अपना,
अब देखो आसमान कैसे देख रहा है परेशानी से।

तुम्हारी नज़रें जो ऐसे जम गई मेरे चेहरे पर,
हाय कहीं मर न जाएँ हम हैरानी से।।

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