Tuesday 16 June 2020

तुम्हारा ख़्याल

मेरी आँखों में तुम्हारे आने का इंतेज़ार आज भी है,
इस दिल में तुम्हारे हिस्से का प्यार आज भी है।

सारा मकान टूट गया है धीरे-धीरे,
बस तुम्हारी तस्वीर वाली दीवार आज भी है।।

सहेज कर तो आज भी रखा है तुम्हारा श्रृंगारदान,
मगर तुम्हारे बिना ये सब बेकार आज भी है।

जिस पंछी को छज्जे से उड़ा दिया था मैंने,
वो घोसला बनाने को तैयार आज भी है।

अकेला ज़रूर हूँ अब मगर तन्हा नही हूँ,
मेरे ख़्यालों में तुम्हारा ख़्याल शुमार आज भी है।।

No comments:

Post a Comment