Thursday 28 May 2020

सोचा न था

सोचा न था,
कि हम तुम कभी ऐसे भी मिला करेंगे
इन दूरियों में पास होने की दुआ करेंगे,
सोचा न था।

तुम्हारे सिरहाने हमेशा आंखें खोली मैंने,
तुम्हारी मुस्कुराहट से उजाला होता था।
सुबह की वो पहली हमारी चाय से,
पूरे दिन आफिस में मेरा गुज़ारा होता था।

इस lockdown में हम दोनों चाहे कितना दूर सही,
मुस्कुराते हुए एक दूसरे को याद कर लेंगे।
वो प्यारभरी नोक झोंक हम दोनों,
फोन पर ही फिरसे एक बार कर लेंगे।

सोचा न था कि
एक दूसरे की बचकानी बातों पर
मन ही मन यूँ हँसा करेंगे।
इन दूरियों में भी पास होने कि दुआ करेंगे
सोचा न था।।

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