Thursday, 5 October 2017

मिलन

एक ज़ोरदार गर्जन के साथ आसमान में बिजली कौंधी है,
मिलन की आस लिए धरती फिरसे मचलने लगी है।
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने
मेघ आयें हैँ।।

भागी भागी बयार आई है,
संग अपने, पिया की आहाट लाई है।
पंछी सब ख़ुशी के मारे झूम रहे हैं,
पेड़ सभी आवभगत में घूम रहे है।
थाल आरती का लिए मोर आएं हैं,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने
मेघ आयें हैँ।।

मेमने, बछिया हिरनी सब मैदान में बडीं  है,
गाँव की किशोरियाँ जैसे मुंडेरी पर खड़ीं है।
मारे खुशी के गौरैया चारों ओर भगी है,
पाहुन की झलक पाने की सब में होड़ लगी है।
कोयल झूम के सबको मंगल गीत सुनाये है,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने मेघ आये हैं।।

लज्जाती हुई प्रियसी दुकड़िये में आ जाती है,
अंततः काली घटा अम्बर में छा जाती है।
बड़ी देर भयी पिया अबके तुमको आने में,
दो पहर और शेष बचे थे हमरे मुरझाने में।
कान पकड़े, प्रियसी को देखो मेघ मनाये है,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने मेघ आये है।।

खोले किवाड़ प्रियसी अपने पिया के स्वागत में,
जैसे धरती बाँहे खोल खड़ी है भाद्रपद में।
बाँध प्रेम बूँद की गठरी में मेघ बरसाए है,
मंत्रमुग्ध पिया मन ही में मुस्काये है।।
दिन हो गए पूरे विरह के,
सब दुःख अंतर से उड़ जाये है।
आई मिलन की बेला देखो
धरती कैसे शरमाये है।
एक ज़ोरदार गर्जन के साथ आसमान में बिजली कौंधी है,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने
मेघ आयें हैँ।।

Saturday, 19 August 2017

तरस

ये कैसा तरस मैं ख़ुद पर खाने जा रहा हूँ,
अपनी मौत की ख़बर मैं ख़ुद सुनाने जा रहा हूँ।।

दो आँखे भी नहीं कमा पाया मैं ज़िन्दगी भर,
अपने जनाज़े में मैं आँसू बहाने जा रहा हूँ।

बूँद बनकर जिया तो सिर्फ टपकता ही रहा,
आज बादल बनकर आसमान में छाने जा रहा हूँ।

सब कुछ ख़ो दिया इस ज़िन्दगी के सफ़र में,
आज उन सभी रिश्तों को पाने जा रहा हूँ।।

लफ़्ज़ों की मिठास से अनजान ही रहा हूँ मैं,
आज मोहब्बत की धुन को गाने जा रहा हूँ।।

जिस ज़िन्दगी को इस ज़िन्दगी में मैं जी नहीं पाया,
उस ज़िन्दगी को मैं एक और दफ़ा लाने जा रहा हूँ।।

ये कैसा तरस में ख़ुद पर खाने जा रहा हूँ,
अपनी मौत की ख़बर मैं ख़ुद सुनाने जा रहा हूँ।।

Thursday, 20 July 2017

याद

तुम्हारे बदन पर मेरी उँगलियों की लिखावट याद आती है,
तुम्हारे होठों पर सुर्ख़ लाली की सजावट याद आती है।।

वो नज़दीकियाँ इन आँखों में आज भी उतनी जवान है,
उन नज़दीकियों में तेरी साँसों की गरमाहट याद आती है।।

शायद देर से आने की आदत वही बरक़रार है अभी तक,
आज उन शामों में तेरी झुंझलाहट याद आती है।।

यहाँ बेवजह नाख़ुश से रहते है सभी नजाने क्यों,
यहाँ आकर मुझे तेरे गुस्से की बनावट याद आती है।।

कौन जानता है वो कुचला कौन गया, क्या फ़र्क़ पड़ता है,
इन ग़ैरों की मतलबी दुनिया में तेरी घबराहट याद आती है।।

कुछ बात थी तुम्हारे छूने में,एक अलग सा एहसास था,
अब इन तनहा रातों में वो सरसराहट याद आती है।।

मालुम नहीं कुछ बचा पाया हूँ क्या,
मुझे अब मेरी आहाट याद आती है।।

Wednesday, 19 July 2017

तुम

रुतबा इज़्ज़त, प्यार मोहब्बत,
तुम्हें सब मानते हैं।
अब तक तो तुम सब कुछ थी मेरी,
चलो आज से तुम्हे रब मानते हैं।।

माना कि तुम्हे पाने के लिए
कुछ किया नहीं हमने,
मगर इबादतों से हम कभी उठे नहीं
ये बात यहाँ सब जानते है।।

फ़क़त चाँद के पास ही चांदनी है
इस बात से तुम्हे इंकार कहाँ,
मगर सितम इस बात का है,
मगर ये बात सितारे कब मानते है।।

इश्क़ के दौर में कहानियाँ बहुत है,
कौन-सी हक़ीक़त है कौन जनता है।
हम हाल-ए-दिल बयाँ करेंगे जब,
मोहब्बत वो हमारी तब मानते हैं।।

यक़ीन कहीं न कहीं उन्हें भी है अपने दिल में,
पूरी शिद्दत से निभाते हैं हम जब ठानते है।।

अब तक तो तुम सब कुछ थी मेरी,
चलो आज से तुम्हे रब मानते हैं।।

Tuesday, 9 May 2017

कवि

मैं एक कवि हूँ,
ज़िन्दगी के पन्नों पर
वक्त की कलम से,
मैं कुछ लिखता हूँ।
अपनी भावनाओं को,
उनकी आँखों से देखता हूँ,
उनके आँसू के रंग समेट
अपने भावों में लिखता हूँ।
मैं एक कवि हूँ,
जाने क्या करता हूँ।।

बुलबुलों से हल्के, पत्थर से भारी,
जैसे ख़्याल आते है।
ये भावना ये चेतना जाने क्या
बवाल मचाते है।।
अनगिनत से लगते है
ये बेहिसाब ख़्याल,
नई कहानी लिख जाते है
करके एक सवाल।।
मैं कलाकार हूँ खूंखार नही,
पूरी नफरत भी नही करता
और अधूरा प्यार भी।।
तुम मेरे कोमल बुलबुलों की तरह हो,
जो उड़ा ले जाते है मुझे ख़्यालों की दुनिया में,
भावनाओं का नया गीत लिखने को।

और फिर छोड़ जाते है मुझे नए बुलबुले की तलाश में
एक नए गीत की रचना करने को।
मैं एक कवि हूँ,
जाने क्या करता हूँ,
जाने क्या लिखता हूँ।।

Sunday, 19 March 2017

आकर्षण

मैं आकर्षित हूँ तुम्हारी तरफ,
तुमसे बोलना चाहती हूँ,
तुम्हे छूना चाहती हूँ,
तुम्हारे साथ हँसना चाहती हूँ,
संग तुम्हारे रोना चाहती हूँ,
हाँ मैं आकर्षित हूँ तुम्हारी तरफ।।

ऐसा नहीं कोई आया नही,
साथ ख्वाहिशें लाया नही।
सभी मुझसे मिलना चाहते है,
सभी मुझे छूना चाहते है।
मुझसे प्यार भी करते है,
ऐसा तो सभी कहते है।
मैं खुश हो जाती हूँ,
और करीब आ जाती हूँ,
मैं तुम्हारी तरफ आकर्षित हो जाती हूँ।

पर अब कुछ ठीक नही लग रहा,
कुछ अजीब है,
मैं तो पिता की तरह तुम्हे चाह रही थी,
मन ही मन तुम्हे और पा रही थी।
तुम्हे भाई कह कर हाथ पकड़ रही थी,
तुम्हे अपना समझ कर बहुत अकड़ रही थी।
मैं पत्नी बन तुम्हें पति मान रही थी,
तुम्हारी जीवन संगिनी से खुद को पहचान रही थी।

पर करीब आकर देखा तो,
तुम्हारी आँखों में कुछ और भाव था।
वो स्नेह वो ख़ुशी मिटने लगी थी,
लोलुपता और वासना अचानक से दिखने लगी थी।

एक अजीब स्तिथी में आ चुकी थी,
अपने आप में से कहीं जा चुकी थी।
मेरा इंकार मुझे तन्हा सरेआम करता है,
मेरा इकरार मुझे यहाँ बदनाम करता है।।

क्या इसमें मेरी ग़लती है,
तुममें वासना की अग्नि जलती है।
क्या इसमें दोष मेरा है,
तुम्हे जड़ मानसिकता ने घेरा है।

तुममें तो मुझे हर रिश्ता दिखाई देता है,
पर मुझमे सिर्फ तुम्हे वही दिखाई देता है।
जवाब दो मैं इंतज़ार करती हूँ,
विनम्र आग्रह फिर एक बार करती हूँ।
हाँ मैं आकर्षित हूँ तुम्हारी तरफ,
तुमसे पूछना चाहती हूँ,
तुम्हे प्यार करना चाहती हूँ।।

Monday, 16 January 2017

मेरी छोटी बहन

अब तक घर में छोटा था,
तो सबके सर चढ़ जाता था।
लाख मनाले चाहे कोई,
अड़ता तो अड़ जाता था।।

तभी किवाड़ पे दस्तक देती,
एक  छोटी सी अनजानी सी।
दादी बोली राजा बेटा,
तेरी इतनी सी लड़क कहानी थी।।
अब छोटा कोई और भी आया,
तुझे बड़ा बनाने को।
नन्हे तूफ़ान कैसे संभाले,
बस इतना तुझे समझाने को।।

देख उदास मुझे माँ बोली,
ये बहन होती है बड़ी ही भोली।
ऊपर से ये तो छोटी है,
तुझसे भी ज्यादा खोटी है।।
ये दुनिया बहुत अनजानी है,
ये बात तुझे ही समझानी है।
हाथ पकड़ अब चलना सीख,
बड़ा होगया अब ढलना सीख।।

छोटा था जब तक जीना,
राजा जैसा लगता है।
पर अब जाके पता चला कि,
बड़ा भाई होना कैसा लगता है।।

happy bdayyy. god bless..

पापा की बेटी

मैं अपने पापा की बेटी,
अकेले होने से डरती हूँ।
आपको बहुत याद करती हूँ,
पापा आपसे बहुत प्यार करती हूँ।।

क्या आपको याद है क्या,
मेरे मन की वो बात है क्या?
दीदी लाड़ली बन मुझे छुटकी बुलाती थी,
मैं मुँह बना के आपके पास आती थी।
प्यार से आप मुझे गोद में उठाते थे,
मुझे राजकुमारी बोल सवारी बन जाते थे।
आपकी पीठ पर बैठ मैं राजकुमारी लगती हूँ,
आपको आज भी हमेशा याद करती हूँ।
पापा आपसे बहुत प्यार करती हूँ।।

उन बचपन की आँख मिचोली में,
आप हमेशा कही छुप जाते थे।
जब न मिलने पर मैं रोती, तो
दरवाज़े की आड़ से देख मुस्कुराते थे।

अब मैं बड़ी हो चुकी हूँ,
अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हूँ।
अब मैं आपका सम्मान बन सकती हूँ,
आपकी नई पहचान बन सकती हूँ।

पर आप फिरसे वही खेल पुराना खेल गए,
मैं फिरसे खड़ी रो रही हूँ।
कि शायद किसी दरवाज़े की आड़ से,
मुझे देख मुस्कुरा रहे हो।
चुपके से मेरे पास आ रहे हो।।

पर अब मैं मज़बूत हिम्मत वाली बन गई हूँ,
आपकी लाड़ली से आपकी बेटी बन गई हूँ।
पर आपके बिना आज भी,
मैं कभी कभी डरती हूँ।
आपको बहुत याद करती हूँ,
पापा आप से बहुत प्यार करती हूँ।।