एक ज़ोरदार गर्जन के साथ आसमान में बिजली कौंधी है,
मिलन की आस लिए धरती फिरसे मचलने लगी है।
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने
मेघ आयें हैँ।।
भागी भागी बयार आई है,
संग अपने, पिया की आहाट लाई है।
पंछी सब ख़ुशी के मारे झूम रहे हैं,
पेड़ सभी आवभगत में घूम रहे है।
थाल आरती का लिए मोर आएं हैं,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने
मेघ आयें हैँ।।
मेमने, बछिया हिरनी सब मैदान में बडीं है,
गाँव की किशोरियाँ जैसे मुंडेरी पर खड़ीं है।
मारे खुशी के गौरैया चारों ओर भगी है,
पाहुन की झलक पाने की सब में होड़ लगी है।
कोयल झूम के सबको मंगल गीत सुनाये है,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने मेघ आये हैं।।
लज्जाती हुई प्रियसी दुकड़िये में आ जाती है,
अंततः काली घटा अम्बर में छा जाती है।
बड़ी देर भयी पिया अबके तुमको आने में,
दो पहर और शेष बचे थे हमरे मुरझाने में।
कान पकड़े, प्रियसी को देखो मेघ मनाये है,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने मेघ आये है।।
खोले किवाड़ प्रियसी अपने पिया के स्वागत में,
जैसे धरती बाँहे खोल खड़ी है भाद्रपद में।
बाँध प्रेम बूँद की गठरी में मेघ बरसाए है,
मंत्रमुग्ध पिया मन ही में मुस्काये है।।
दिन हो गए पूरे विरह के,
सब दुःख अंतर से उड़ जाये है।
आई मिलन की बेला देखो
धरती कैसे शरमाये है।
एक ज़ोरदार गर्जन के साथ आसमान में बिजली कौंधी है,
एक अरसे बाद अपनी प्रियसी से मिलने
मेघ आयें हैँ।।