Monday, 16 January 2017

पापा की बेटी

मैं अपने पापा की बेटी,
अकेले होने से डरती हूँ।
आपको बहुत याद करती हूँ,
पापा आपसे बहुत प्यार करती हूँ।।

क्या आपको याद है क्या,
मेरे मन की वो बात है क्या?
दीदी लाड़ली बन मुझे छुटकी बुलाती थी,
मैं मुँह बना के आपके पास आती थी।
प्यार से आप मुझे गोद में उठाते थे,
मुझे राजकुमारी बोल सवारी बन जाते थे।
आपकी पीठ पर बैठ मैं राजकुमारी लगती हूँ,
आपको आज भी हमेशा याद करती हूँ।
पापा आपसे बहुत प्यार करती हूँ।।

उन बचपन की आँख मिचोली में,
आप हमेशा कही छुप जाते थे।
जब न मिलने पर मैं रोती, तो
दरवाज़े की आड़ से देख मुस्कुराते थे।

अब मैं बड़ी हो चुकी हूँ,
अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हूँ।
अब मैं आपका सम्मान बन सकती हूँ,
आपकी नई पहचान बन सकती हूँ।

पर आप फिरसे वही खेल पुराना खेल गए,
मैं फिरसे खड़ी रो रही हूँ।
कि शायद किसी दरवाज़े की आड़ से,
मुझे देख मुस्कुरा रहे हो।
चुपके से मेरे पास आ रहे हो।।

पर अब मैं मज़बूत हिम्मत वाली बन गई हूँ,
आपकी लाड़ली से आपकी बेटी बन गई हूँ।
पर आपके बिना आज भी,
मैं कभी कभी डरती हूँ।
आपको बहुत याद करती हूँ,
पापा आप से बहुत प्यार करती हूँ।।

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