रुतबा इज़्ज़त, प्यार मोहब्बत,
तुम्हें सब मानते हैं।
अब तक तो तुम सब कुछ थी मेरी,
चलो आज से तुम्हे रब मानते हैं।।
माना कि तुम्हे पाने के लिए
कुछ किया नहीं हमने,
मगर इबादतों से हम कभी उठे नहीं
ये बात यहाँ सब जानते है।।
फ़क़त चाँद के पास ही चांदनी है
इस बात से तुम्हे इंकार कहाँ,
मगर सितम इस बात का है,
मगर ये बात सितारे कब मानते है।।
इश्क़ के दौर में कहानियाँ बहुत है,
कौन-सी हक़ीक़त है कौन जनता है।
हम हाल-ए-दिल बयाँ करेंगे जब,
मोहब्बत वो हमारी तब मानते हैं।।
यक़ीन कहीं न कहीं उन्हें भी है अपने दिल में,
पूरी शिद्दत से निभाते हैं हम जब ठानते है।।
अब तक तो तुम सब कुछ थी मेरी,
चलो आज से तुम्हे रब मानते हैं।।
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