Sunday, 10 July 2016

McD

ये ज़िन्दगी की व्यस्तताएं,
ये ज़िन्दगी की आफतें।
ये ज़िन्दगी की समस्याएँ,
ये ज़िन्दगी की शरारतें।

दो पल का यहाँ ठहराव है,
रोज़ की थकान से।
घर जैसा लगाव है,
इस छोटी सी दूकान से।

कहीं दोस्तों की हँसी ठिठोली,
कहीं पानी की होली है।
कही दो मनचले बैठे बतियाये,
वो देख लड़की बैठी भोली है।

कहीं किसी का इंतज़ार कोने में हो रहा है,
उसे अकेले बैठे देख कही प्यार किसी को हो रहा है।
कोई अपने दुखड़े सुलझाये एक दूसरे का हाथ पकड़,
तो कही कुछ लोगों का व्यापर किसी से हो रहा है।

न जाने अनगिनत क़िस्सों का,
पिटारा इसके पास है।
ये मैकडोनाल्ड का कैफ़े है,
ये घर जैसा एहसास है।।

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