सुनहरी धूप खिली है मेरे आँगन में
आज बहुत दिनों के बाद,
सोच रहा हूँ सुखा लूँ
रूह को तार पे।
बहुत दिनों से बे-ज़ार
ठंडे कोने में पड़ी हुई है,
कुछ शिकनें सिलवटें आ गई हैं
सफ़ेद काले चक्कते भी देखे थे।
धुल तो गई कई दफ़ा थी रूह
मगर दाग़ नही गए थे,
आज सुनहरी धूप खिली है
बहुत दिनों के बाद।
रूह को तार पर सुखा कर देखता हूँ
शायद वो दाग आप ही चले जाएँ,
नही तो कोई बात नही
यूँ ही बहाने से एक बार फिर
धूप ही देख लेगी रूह मेरी।।
Bahut shankar laga 👌👌👌
ReplyDeleteDhanyawad
Delete😍
ReplyDelete😊😊
DeleteAccha kaam Kiya, come and sign mg next film
ReplyDeleteSure
DeleteShukriya
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