सड़क किनारे बैठा मैं,
दुनियां संवारता चला।
मौत का सामान देकर,
मैं ज़िंदगी गुज़ारता चला।
सैंकड़ों सावन गुज़र गए,
हर बारिश में मैं डंटा रहा।
दुनियादारी, भूख-प्यास,
बस इन सब में मैं बंटा रहा।
हर सिक्के, हर नोट को लेकर,
तसल्ली मैं करता हूँ।
क्या ये वही चीज़ है
जिससे अपना पेट मैं भरता हूँ?
देते हैं लोग,
दया दिखाकर,
सबको मना मैं करता हूँ।
तुम अदा न कर सकोगे,
जो क़र्ज़ मैं भरता हूँ।
आँखे मेरी धुंधला गई,
हाथ भी कपकपाते है।
करदो आज़ाद अब उस पंछी को,
पिंजरे में जो छटपटाते है।
मर जाऊंगा मैं जब,
किसी को फर्क नहीं पड़ेगा।
लड़ते-लड़ते मैं मर गया,
कल कोई और आकर लड़ेगा।
पर तू चिंता मत कर ज़िंदगी,
तू अकेली नहीं रहेगी।
आज तक मैं साथ था,
कल को किसी और के साथ चलेगी,
किसी और के साथ चलेगी॥
दुनियां संवारता चला।
मौत का सामान देकर,
मैं ज़िंदगी गुज़ारता चला।
सैंकड़ों सावन गुज़र गए,
हर बारिश में मैं डंटा रहा।
दुनियादारी, भूख-प्यास,
बस इन सब में मैं बंटा रहा।
हर सिक्के, हर नोट को लेकर,
तसल्ली मैं करता हूँ।
क्या ये वही चीज़ है
जिससे अपना पेट मैं भरता हूँ?
देते हैं लोग,
दया दिखाकर,
सबको मना मैं करता हूँ।
तुम अदा न कर सकोगे,
जो क़र्ज़ मैं भरता हूँ।
आँखे मेरी धुंधला गई,
हाथ भी कपकपाते है।
करदो आज़ाद अब उस पंछी को,
पिंजरे में जो छटपटाते है।
मर जाऊंगा मैं जब,
किसी को फर्क नहीं पड़ेगा।
लड़ते-लड़ते मैं मर गया,
कल कोई और आकर लड़ेगा।
पर तू चिंता मत कर ज़िंदगी,
तू अकेली नहीं रहेगी।
आज तक मैं साथ था,
कल को किसी और के साथ चलेगी,
किसी और के साथ चलेगी॥