ये प्रेम नहीं है सावन का,
ये प्रेम नहीं है रावण का।
ये तार दिलों के बीच जुड़े,
ये प्रेम बड़ा है पावन सा।
संग-संग बीते हम,
हर गर्मी बरसात में।
हम जवां होते रहे,
हर नई मुलाकात में।
जब वक्त का पहिया चलता है,
जब उगता सूरज ढलता है।
जब आँखों में पलकों के नीचे,
कोई प्यारा सपना पलता है।
एक सुन्दर संसार बनाये हम,
एक महकती फुलवार बनाये हम।
सुबह को होली शाम दिवाली,
संग हर बार मनाये हम।
एक दिन वो भी आना है,
जब हमको रुख़्सत हो जाना है।
तेरी बाँहो की शैय्या में लेटे हो,
और आँखों में आँसू लपेटे हो।
आओ प्रिय विदा ले हम,
एक छोटी-सी आस लिए।
फिर मिलेंगे उसी कक्षा में,
एक नई शुरुआत लिए।
ये प्रेम नहीं है रावण का।
ये तार दिलों के बीच जुड़े,
ये प्रेम बड़ा है पावन सा।
संग-संग बीते हम,
हर गर्मी बरसात में।
हम जवां होते रहे,
हर नई मुलाकात में।
जब वक्त का पहिया चलता है,
जब उगता सूरज ढलता है।
जब आँखों में पलकों के नीचे,
कोई प्यारा सपना पलता है।
एक सुन्दर संसार बनाये हम,
एक महकती फुलवार बनाये हम।
सुबह को होली शाम दिवाली,
संग हर बार मनाये हम।
एक दिन वो भी आना है,
जब हमको रुख़्सत हो जाना है।
तेरी बाँहो की शैय्या में लेटे हो,
और आँखों में आँसू लपेटे हो।
आओ प्रिय विदा ले हम,
एक छोटी-सी आस लिए।
फिर मिलेंगे उसी कक्षा में,
एक नई शुरुआत लिए।