Friday 1 October 2021

गुल और बुलबुल

मैं प्रेम था उसके मंदिर का,
वो इश्क़ थी मेरी दरगाह की। 
ना जात पात ना धरम काज
वो खूबसूरत सी दुनिया थी।

न पता दिखा न नाम सुना,
हम दोनों खो गए आँखों में।
किसे फ़िक्र थी जंग छिड़ी थी,
जब सो गए उसकी बाहों में।

सर पर मेरे टोपी थी,
उसने भी घूँघट ओढ़ा था।
किसे पता क्या ख़बर किसे थी,
ये कितना बड़ा रोड़ा था।

कुछ लोग आ गये तलवारें लेकर,
कुछ ने त्रिशूल पकड़ा था।
गुल आ गया सामने लेकिन
बुलबुल को जंजीरों में जकड़ा था।

धर्म और मज़हब से ऊपर 
ये उनकी प्रेम कहानी थी।
बस आने वाली नस्लों को 
इतनी-सी बात सुननी थी।।

Wednesday 15 July 2020

अभी तक है

मेरे माथे पर तुम्हारे होंठों का स्वाद अभी तक है,
तुम्हारी हर छोटी नादानियाँ मुझे याद अभी तक है।

अभी तक है तुम्हारे होने का एहसास इस दिल में,
वो पहले प्यार की कशिश वो जज़्बात अभी तक हैं।

जिन रस्तों से तुम गुज़रे वहाँ पर फूल खिल गए,
जिन रस्तों से तुम मुड़ गए वो बर्बाद अभी तक है।

तुम्हें मिलने से जो पहले तड़प जो आस थी दिल में,
तुम्हारे बाद इस दिल के वही हालात अभी तक है।

मेरा ख़ुर्शीद मेरा सूरज मेरी रोशनी थे तुम,
तुम चले क्या गए मेरे घर में रात अभी तक है।।

Wednesday 17 June 2020

तुम्हारी नज़रें

कुछ हर्फ़ टूट गए कहानी से,
जैसे बचपन छोड़ गए जवानी से।

अब जो उनके लबों को छू लूँ तो क़रार मिले,
अब ये प्यास नही बुझनी पानी से।

बस काफ़ी है जो तुम्हारा साथ मिल गया,
बस जो तुम्हारे होंठ लगे अब पेशानी से।

ये जो तुमने मान लिया है मुझे चाँद अपना,
अब देखो आसमान कैसे देख रहा है परेशानी से।

तुम्हारी नज़रें जो ऐसे जम गई मेरे चेहरे पर,
हाय कहीं मर न जाएँ हम हैरानी से।।

Tuesday 16 June 2020

उड़ते ख़्याल

उदासी ने कुछ यूँ मुस्कुराकर देखा,
मानो पहली मोहब्बत ने शर्माकर देखा।

किसी ख़ता का बोझ उठाये लगते हैं,
मेरे शाद ने जब मुझे घबराकर देखा।

कैसे ज़िंदा है अभी तक वो साँसों के बिना,
लोगों ने फिर उस उम्मीद को भी दफ़नाकर देखा।

तुम मिले तो लगा कुछ मायनें अभी हैं ज़िन्दगी के,
जब उन उड़ते ख्यालों को अपनाकर देखा।।

तुम्हारा ख़्याल

मेरी आँखों में तुम्हारे आने का इंतेज़ार आज भी है,
इस दिल में तुम्हारे हिस्से का प्यार आज भी है।

सारा मकान टूट गया है धीरे-धीरे,
बस तुम्हारी तस्वीर वाली दीवार आज भी है।।

सहेज कर तो आज भी रखा है तुम्हारा श्रृंगारदान,
मगर तुम्हारे बिना ये सब बेकार आज भी है।

जिस पंछी को छज्जे से उड़ा दिया था मैंने,
वो घोसला बनाने को तैयार आज भी है।

अकेला ज़रूर हूँ अब मगर तन्हा नही हूँ,
मेरे ख़्यालों में तुम्हारा ख़्याल शुमार आज भी है।।

Thursday 28 May 2020

सोचा न था

सोचा न था,
कि हम तुम कभी ऐसे भी मिला करेंगे
इन दूरियों में पास होने की दुआ करेंगे,
सोचा न था।

तुम्हारे सिरहाने हमेशा आंखें खोली मैंने,
तुम्हारी मुस्कुराहट से उजाला होता था।
सुबह की वो पहली हमारी चाय से,
पूरे दिन आफिस में मेरा गुज़ारा होता था।

इस lockdown में हम दोनों चाहे कितना दूर सही,
मुस्कुराते हुए एक दूसरे को याद कर लेंगे।
वो प्यारभरी नोक झोंक हम दोनों,
फोन पर ही फिरसे एक बार कर लेंगे।

सोचा न था कि
एक दूसरे की बचकानी बातों पर
मन ही मन यूँ हँसा करेंगे।
इन दूरियों में भी पास होने कि दुआ करेंगे
सोचा न था।।

तेरे ख़त

कोई देख न ले ये हाल, मैं ये तेरे ख़त छुपा देता हूँ,
कोई झाँक रहा है खिड़की से, मैं ये चिराग़ बुझा देता हूँ।

रातभर अँधेरे से कई बाजियाँ खेली मैंने,
कौन हारा कौन जीता, मैं ये हिसाब सुबह देता हूँ।

तुमसे इश्क़ करने के लाखों बहाने दिए, सब बेसर रहे,
वो यूँ ही छोड़कर चले जाते हैं, जब मैं ये एक वजह देता हूँ।

साँसे जबतक हैं मैं साँस नही ले पाउँगा,
तुम्हें याद रखने की ख़ुद को मैं ये सज़ा देता हूँ।

अभी भी बाकि है उस बाग़ में कुछ सूखे फूल,
आज तुम्हारे खतों में रखकर मैं ये जला देता हूँ।।