ज़ख्म बेहतर हुए बस निशान रह गए,
मोहब्बत देख के वो हमारी बस हैरान रह गए।
जितना दुखी इन ज़माने वालों ने किया,
उतनी ऊँची मेरी हँसी देखकर बस परेशान रह गए।
सड़कों पर आजकल देखी जाती है ज़िन्दगी,
जो घर हुआ करते थे अब बस मकान रह गए।
एक बस तुम्ही हो जिसे ज़हन से जाने नही दिया,
बाकि जो थे बस मेहमान रह गए।
पिताजी ने कहा था सब सीख लो हिसाब किताब,
देखो आज मेरे हिस्से में बस नुकसान रह गए।
सुकून, मोहबत वो अपने ये उम्रें सब ले गई हमारी,
आँखों में पले थे जो सपने बस वो जवान रह गए।।
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