आसमान को सागर भिगोते देखा,
आज मैंने बादल को रोते देखा।
कैसे मिल जाते हैं दो लोग अजनबी,
हमने तो अपनी क़िस्मत को हमेशा सोते देखा।
कितनी आसानी से लोग दिल से उतार देते हैं,
हमने खुद को ये बोझ हमेशा ढ़ोते देखा।
कौन है वो जो दिल में नफ़रत भरते हैं,
हमने तो सिर्फ़ प्यार को बोते देखा।
ढूंढ़ लेते हैं लोग जीने की आरज़ू,
हमने ख़ुद में से ख़ुद को खोते देखा।।
Well written... true feelings..
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteThank you so much. Keep reading
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