तेरे आग़ोश में अब मैं पिघलने लगा हूँ,
मत रोक मुझे, अब मैं संभलने लगा हूँ।
सिकुड़े रहते थे जो होंठ कभी, अब हँसते हैं,
तेरी मोहब्बत में अब मैं बदलने लगा हूँ।
बड़े ही ग़फ़लत से दिल को तक़सीम किये बैठे थे,
तेरी बदमस्त आदाओं के चलते अब मैं ढ़लने लगा हूँ।
मेरी आँखों में रूह कहीं ठंडी पड़ चुकी थी,
तेरे देखने से अब मैं जलने लगा हूँ।
जहाँ रुका हुआ था जहाँ सारा,
ख़ुद की उँगली पकड़ अब मैं चलने लगा हूँ।।
Wah!
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