कई फ़ासले तय किये कई फ़सीलें पार हुए,
तब कहीं जाके उनके दीदार हुए।।
ऐसा भी नही की यूँ ही मिल गए वो,
बहुत मशक्क़त के बाद ही ये आसार हुए।
मुश्किलें और भी रहीं उनको मनाने के बाद,
ऐसे ही नही हम घोडी पर सवार हुए।
वो भूल करते हैं जो इश्क़ को खेल समझते हैं,
यहाँ रातों को दिग्गज भी बेदार हुए।
मामूल सी ख़्वाहिशें लिए जो जी रहे थे अब तक,
वो भी आजकल चाँद के तलबगार हुए।
खूबसूरत कोहसार भी देखे ख़ुदा के शाहकार भी देखे,
मगर तुम हो पहले अशआर मेरे जिसमें से ये नग्में हज़ार हुए।।
Beautiful thoughts.. keep it on..
ReplyDeleteBeautifully Written 😍 Way To Go 😍
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