उस दिन जब रात मेरे कमरे में आई थी,
मुझे याद है मेरे कानों में कुछ गुनगुनाई थी।।
कहीं दूर किसी के दिल में कुछ तो ज़रूर हुआ था,
यूँ ही नही वो हवा मुझसे शरमाई थी।।
जम चुकी थी जो चादर जज़्बातों की इस दिल पर,
देख तेरी साँसों की गरमाहट से कैसे नरमाई थी।।
मुझे याद है जब ज़ोर से मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा था,
ख़ुदा कसम उस रात तुम बहुत घबराई थी।।
तुम्हारी यादें जो लेके आई थी ये हवा,
अब समझता हूँ क्यों वो इतराई थी।।
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