Tuesday, 13 February 2018

रात

उस दिन जब रात मेरे कमरे में आई थी,
मुझे याद है मेरे कानों में कुछ गुनगुनाई थी।।

कहीं दूर किसी के दिल में कुछ तो ज़रूर हुआ था,
यूँ ही नही वो हवा मुझसे शरमाई थी।।

जम चुकी थी जो चादर जज़्बातों की इस दिल पर,
देख तेरी साँसों की गरमाहट से कैसे नरमाई थी।।

मुझे याद है जब ज़ोर से मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा था,
ख़ुदा कसम उस रात तुम बहुत घबराई थी।।

तुम्हारी यादें जो लेके आई थी ये हवा,
अब समझता हूँ क्यों वो इतराई थी।।

Friday, 9 February 2018

अधूरी मोहब्बत

जब भी मैं और मेरा सुकून बातें करते हैं,
तुम्हारी यादों से जब दो मुलाक़ातें करते हैं।
कभी हँसते है कभी रोते हैं तुम्हारा नाम लेकर,
तो कभी उस ख़ुदा से फ़रियादें करते हैं।।

उन जी चुके लम्हों को फिर जीने का मन करता है,
उन टपकते लफ़्ज़ों को फिर पीने का मन करता है।
कुछ तो था उस वक्त में जिसे मैं भूल नही पाता हूँ,
उन बिखरे हुए रिश्तों को फिर सीने का मन करता है।।

क्यों मैं ही टूटता हूँ हर बार हम दोनों में,
क्यों तुम ही रूठती हो हर बार हम दोनों में।
क्यों मेरे हर ज़िक्र में सिर्फ़ तुम्हारा ही ज़िक्र रहता है,
क्यों मेरे ही आँखों से आँसू का दरिया बहता है।।

उन सपनों के हालात बदलते देखे है,
तुम्हारी आँखों से जज़्बात बदलते देखे है।
अपनी अना को तुम्हारे आग़ोश में तोड़ा कई बार हमने है,
अपने क़दमो को तुम्हारी राहों में मोड़ा कई बार हमने है।।

बात अब बस इतनी सिमट कर रह गई है,
मेरी मोहब्बत मुझसे लिपट कर रह गई है।
कोई ग़म नही कोई शिकवा नही कोई मलाल नही है,
मेरी अधूरी मोहब्बत से अब कोई सवाल नही है।।