Wednesday, 21 September 2016

सलाह नही चेतावनी है!!

बातों का दौर अब खत्म हुआ,
ये बात तो सबने मानी है।
लाख नकारे चाहे कोई,
ये हरकत पाकिस्तानी है।।

शोक मेँ जिसके डूब गया,
वो जाबाज़ो की क़ुरबानी है।
बहुत किया बर्दाश्त अब तो,
सर से गुज़रा पानी है।।
नामर्दों की टोली का,
सरताज बन के बैठा है।
यहाँ शहीदों पर पूरा देश,
नाज़ करके बैठा है।।
बंदूकों की गोलियाँ,
छाती पर अपने झेली है।
ये भारत माँ के सपूत है,
जिन्होंने खून से होली खेली है।।
पीठ पीछे वार करे ये,
ये तेरी कारिस्तानी है।
लाख नकारे चाहे कोई,
ये हरकत पाकिस्तानी है।।

यहाँ देश के नेता अब भी,
कड़ी निंदा ही करते है।
और वहाँ सैकडों लोगों मेँ,
वो आतंकी ज़िंदा करते है।।
हमारे टुकड़ों पर पलने वाला,
हमपर ही घुर्राता है।
अब वक्त है दिखाने का कि,
कौन बाप कहलाता है।।
जितने चाहो उतने भेजो तुम,
इन बुज़दिल आतंकवादी को।
जिस दिन भी गुस्सा फ़ूट गया,
तुम रोओगे अपनी बर्बादी को।।
अरे अब भी वक्त है मान जा,
क्यों दोगला काम करते हो।
अपना तो तुम्हारा कुछ नही,
क्यों माँ के दूध को बदनाम करते हो।।
इस बार फ़ैसला करना है,
ये हर बच्चे बच्चे ने ठानी है।
लाख नकारे चाहे कोई,
ये हरकत पाकिस्तानी है।।

Saturday, 17 September 2016

आवारा लाश

कोई हक़दार नही, कोई दावेदार नही,
ये ज़िन्दगी है एक आवारा लाश।
मेरे होने की वजह भी मेरे पास नही,
मेरी मौजूदगी का मुझे एहसास नही,
ये ज़िन्दगी है एक आवारा लाश।।

कभी लांघा कभी कुचला तो,
कभी कोई मोटर कार निकल गई।
मैं वहीँ पड़ा रहा और,
दुनिया पार निकल गई।।
रूह कबकि निकल गई,
पर जान अभी बाकि थी।
अरमानों की अर्थी पर,
पहचान अभी बाकि थी।
मौसीक़ी मेरी ज़िन्दगी की
कोई और ही गा गया,
ये ज़िन्दगी है एक आवारा लाश।
मेरी चाहत को कम्बख़्त कोई और ही भा गया,
ये ज़िन्दगी है एक आवारा लाश।।

वक्त की घड़ी ख़ामोश है,
कभी कुछ नही कहती।
ये ज़िन्दगी की धारा है,
कभी उल्टी नही बहती।।
छोड़ बंजारे तू,
पछतावे से क्या मिलता है।
थाली पर सिर्फ सजते है,
फूल तो डाली पर ही खिलता है।।
उस फूल के रस को भी वो भँवरा ले गया,
ये ज़िन्दगी है एक आवारा लाश।
और मुझे सिर्फ उड़ती ख़ुशबू दे गया,
ये ज़िन्दगी है एक आवारा लाश।।