बातों का दौर अब खत्म हुआ,
ये बात तो सबने मानी है।
लाख नकारे चाहे कोई,
ये हरकत पाकिस्तानी है।।
शोक मेँ जिसके डूब गया,
वो जाबाज़ो की क़ुरबानी है।
बहुत किया बर्दाश्त अब तो,
सर से गुज़रा पानी है।।
नामर्दों की टोली का,
सरताज बन के बैठा है।
यहाँ शहीदों पर पूरा देश,
नाज़ करके बैठा है।।
बंदूकों की गोलियाँ,
छाती पर अपने झेली है।
ये भारत माँ के सपूत है,
जिन्होंने खून से होली खेली है।।
पीठ पीछे वार करे ये,
ये तेरी कारिस्तानी है।
लाख नकारे चाहे कोई,
ये हरकत पाकिस्तानी है।।
यहाँ देश के नेता अब भी,
कड़ी निंदा ही करते है।
और वहाँ सैकडों लोगों मेँ,
वो आतंकी ज़िंदा करते है।।
हमारे टुकड़ों पर पलने वाला,
हमपर ही घुर्राता है।
अब वक्त है दिखाने का कि,
कौन बाप कहलाता है।।
जितने चाहो उतने भेजो तुम,
इन बुज़दिल आतंकवादी को।
जिस दिन भी गुस्सा फ़ूट गया,
तुम रोओगे अपनी बर्बादी को।।
अरे अब भी वक्त है मान जा,
क्यों दोगला काम करते हो।
अपना तो तुम्हारा कुछ नही,
क्यों माँ के दूध को बदनाम करते हो।।
इस बार फ़ैसला करना है,
ये हर बच्चे बच्चे ने ठानी है।
लाख नकारे चाहे कोई,
ये हरकत पाकिस्तानी है।।