Wednesday, 17 June 2020

तुम्हारी नज़रें

कुछ हर्फ़ टूट गए कहानी से,
जैसे बचपन छोड़ गए जवानी से।

अब जो उनके लबों को छू लूँ तो क़रार मिले,
अब ये प्यास नही बुझनी पानी से।

बस काफ़ी है जो तुम्हारा साथ मिल गया,
बस जो तुम्हारे होंठ लगे अब पेशानी से।

ये जो तुमने मान लिया है मुझे चाँद अपना,
अब देखो आसमान कैसे देख रहा है परेशानी से।

तुम्हारी नज़रें जो ऐसे जम गई मेरे चेहरे पर,
हाय कहीं मर न जाएँ हम हैरानी से।।

Tuesday, 16 June 2020

उड़ते ख़्याल

उदासी ने कुछ यूँ मुस्कुराकर देखा,
मानो पहली मोहब्बत ने शर्माकर देखा।

किसी ख़ता का बोझ उठाये लगते हैं,
मेरे शाद ने जब मुझे घबराकर देखा।

कैसे ज़िंदा है अभी तक वो साँसों के बिना,
लोगों ने फिर उस उम्मीद को भी दफ़नाकर देखा।

तुम मिले तो लगा कुछ मायनें अभी हैं ज़िन्दगी के,
जब उन उड़ते ख्यालों को अपनाकर देखा।।

तुम्हारा ख़्याल

मेरी आँखों में तुम्हारे आने का इंतेज़ार आज भी है,
इस दिल में तुम्हारे हिस्से का प्यार आज भी है।

सारा मकान टूट गया है धीरे-धीरे,
बस तुम्हारी तस्वीर वाली दीवार आज भी है।।

सहेज कर तो आज भी रखा है तुम्हारा श्रृंगारदान,
मगर तुम्हारे बिना ये सब बेकार आज भी है।

जिस पंछी को छज्जे से उड़ा दिया था मैंने,
वो घोसला बनाने को तैयार आज भी है।

अकेला ज़रूर हूँ अब मगर तन्हा नही हूँ,
मेरे ख़्यालों में तुम्हारा ख़्याल शुमार आज भी है।।