ये जो आँखों में नमी है
ये और कुछ नही बस वो
बची हुई मोहब्बत है जो मैं कभी
तुमसे बेपनाह करता था,
शायद किसी को ये पानी लग सकता है,
और तुम भी अगर ये मानो
तो मुझे कोई हैरानी नही होगी।
हाँ बस ये अफ़सोस ज़रूर होगा कि तुम भी
इसे पानी ही समझती हो।
तुम्हारी गलती नही है
तुमने तो बस इन आँखों में
हमेशा शरारत ही देखी है,
कभी उसमे छिपी मोहब्बत नही देखी।
तुम्हे बस एक पागल लड़का दिखा
जो हर वक्त तुम्हे हँसाने के लिए
क्या कुछ कर जाता है।
क्या तुम सच में उसे पागल समझती थी
या तुम्हे कभी उन आंखों में डूबता हुआ
प्यार नही दिखा।
क्या तुम्हे कभी नही दिखा कि
थोड़ी सी तवज्जो के लिए वो
कितनी जान छिडकता था।
क्या तुम्हे कभी नही दिखा कि
जब तुम उस रात किसी और के साथ में थी
वो रात वो रो क्यों रहा था,
और जब सुबह 4 बजे तुम रोते हुए उसे
फोन करती हो वो सब भूल कर
तुम्हे क्यों हंसाने लगता था।
क्या तुम्हे सच में लगता था कि
वो प्यार नहीं करता था।।