ज़िन्दगी भूल गई हमें,
उसे याद है कहानी पर।
दोष भी उन्हें क्या दें, जब
किस्मत लिखी है पानी पर।।
ख़ामोशी से हम जीते थे,
कोई ग़िला अब बचा नही।
सोचा तुझसे बेवफ़ाई करलूँ,
पर ये रस्ता तुम्हारा जँचा नही।।
फक्कड़ स्वभाव चंचल मन,
यारों की टोली हर मौसम सावन।
वो पहली मुलाक़ात के बाद,
सब बातें हो गई पुरानी पर।
ज़िन्दगी भूल गई हमें,
उसे याद है कहानी पर।
दोष भी उन्हें क्या दें, जब
किस्मत लिखी है पानी पर।।
मन पंछी बन बड़ा हुआ,
अब उड़ना इसने सीख लिया।
पानी मिल मिल नहर नदी बन,
अब मुड़ना इसने सीख लिया।।
बात ख़त्म हुई पन्नें पल्टे,
आख़िरकार मसले सारे सुल्टे।
अब भी मुझको हँसता देख,
उसे होती हैरानी पर।
ज़िन्दगी भूल गई हमें,
उसे याद है कहानी पर।
दोष भी उन्हें क्या दें, जब
किस्मत लिखी है पानी पर।।